Success Story Of IAS Topper Rushikesh Reddy: कई बार असफलता का सामना करने  के  बाद भी नहीं मानी हार और फिर इस स्ट्रेटेजी से रुशीकेश रेड्डी बने आईएएस (IAS) आईआईटी (ITI) से पढ़ाई करने के बाद भी रुशीकेश का सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा। उन्होंने कई बार यूपीएससी में असफलता का सामना किया लेकिन मेहनत करने से कभी हार नहीं मानी और सफल हो गए। (Success Story)

इसी लाइन से आप को सोहनलाल द्विवेदी की एक कविता याद दिलाते है

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है
जा जाकर खाली हाथ लौटकर आता है
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय जयकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

This poetry dedicated to all UPSC candidates

Success Story Of IAS Topper Rushikesh Reddy: यूपीएससी के सफर में जो लोग कठिनाईयों का डट कर मुकाबला करते है और असफलताओं से कभी हार नहीं मानते हैं , उन्हें सफलता जरूर मिलती है। ऐसा ही कुछ रुशीकेश रेड्डी ने भी कर दिखाया है।  आज हम आपको आईएएस बनने वाले रुशीकेश रेड्डी के सफर के बारे में बताएंगे, जिन्हें यहां तक पहुंचने में काफी लंबा समय लग गया और कई बार उन्होंने असफलताओं का सामना भी किया मगर कभी हार नहीं मानी। हालांकि सब्र के साथ उन्होंने कड़ी मेहनत किया, जिसकी वजह से उन्होंने अपना आईएएस बनने का सपना पूरा कर लिया. उनकी कहानी आज सबके लिए एक मिसाल बन गई है।

ऐसा रहा यूपीएससी का सफर

आंध्र प्रदेश के रहने वाले रुशीकेश बचपन से ही पढ़ाई में बहुत होशियार थे।  इसी वजह से उन्होंने आईआईटी की  एंट्रेंस इंटरमीडिएट के बाद क्लियर कर लिया. आईआईटी दिल्ली से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने यूपीएससी में जाने का मन बना लिया। पहले दो प्रयासों में उन्हें असफलता मिली, फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार कोशिश करते रहे। तीसरे प्रयास में उन्होंने परीक्षा तो पास कर लिया मगर रैंक 374 रही, जिसकी  वजह से उन्हें इंडियन रेलवे ट्रेफिक सर्विस मिली. चौथा प्रयास उन्होंने किया तब प्री परीक्षा में फेल हो गए. इसके बाद उन्होंने एक और प्रयास किया और पांचवें प्रयास में 95 रैंक प्राप्त कर लिया।

रुशीकेश ने सेल्फ स्टडी पर किया भरोसा

एक तरफ जहां अधिकतर लोग यूपीएससी के लिए कोचिंग को जरूरी मानते हैं, वहीं दूसरी तरफ यह परीक्षा पास करने वाले तमाम लोग सेल्फ स्टडी पर फोकस करने की सलाह देते हैं। रुशीकेश रेड्डी का भी मानना है कि अगर आप कोचिंग नहीं कर सकते, तो डरने या घबराने की कोई जरूरत नहीं है। आप सेल्फ-स्टडी पर भरोसा करें और कड़ी मेहनत में जुट जाएं. सेल्फ स्टडी और बेहतर रिवीजन की बदौलत आप यहां सफल हो सकते हैं।

अन्य लोगों के लिए रुशीकेश रेड्डी की सलाह

रुशीकेश मानते हैं कि यूपीएससी की तैयारी करते वक्त आपको फिजिकली और मेंटली खुद को मजबूत चाहिए। आपको इस सफर में हर परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना होगा.  मानना है कि यहां असफलता मिलने पर निराश नहीं होना चाहिए बल्कि अपनी कमियों को ढूंढकर उन्हें सुधारना चाहिए. लगातार मेहनत करते रहने पर आप अपनी मंजिल जरूर हासिल कर सकते हैं. Read one more Success Story

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